क्या थी? सिंधु घाटी सभ्यता, और किया है? इसका एतिहास:

- शहरी नियोजन: सिंधु घाटी के शहरों, जैसे मोहनजो-दारो और हड़प्पा, में व्यवस्थित सड़कें, पक्की ईंटों से बने घर, और उन्नत जल निकासी प्रणाली थी|
- व्यापार: इस सभ्यता के लोग दूर-दूर तक व्यापार करते थे, और उनके व्यापारिक संबंध मेसोपोटामिया (वर्तमान इराक) तक फैले हुए थे|
- कला और संस्कृति: सिंधु घाटी के लोगों ने मिट्टी के बर्तन, मुहरें, आभूषण और मूर्तियां बनाईं, जो उनकी कलात्मकता को दर्शाती हैं|
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कृषि: सिंधु घाटी सभ्यता में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान था, और लोग गेहूं, जौ, कपास और अन्य फसलों की खेती करते थे|
- धर्म: सिंधु घाटी के लोग प्रकृति और मातृ देवी की पूजा करते थे, और पशुपति (शिव का एक रूप) को भी पूजते थे|
- जल निकासी प्रणाली: इन शहरों में एक उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली थी, जो घरों से पानी निकालने के लिए नालियों से जुड़ी हुई थी।
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कला और संस्कृति: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मुहरों, मिट्टी के बर्तनों और अन्य कलात्मक वस्तुओं का निर्माण करते थे।
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महत्वपूर्ण स्थल: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ प्रमुख स्थल हैं।
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सबसे पुरानी सभ्यता: कुछ विद्वानों का मानना है कि भिरड़ाना सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पुराना ज्ञात शहर है, जिसकी शुरुआत 7500 से 6500 ईसा पूर्व के बीच हुई थी।
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क्षेत्रफल: सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 1,260,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई थी।
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पतन: लगभग 1700 ईसा पूर्व में, सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हो गया, जिसके कारणों में पर्यावरणीय परिवर्तन, भूकंप और नदियों का सूखना शामिल हो सकते हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज किसने की थी?
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज एक क्रमिक प्रक्रिया थी, जिसमें कई पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं का योगदान रहा है|
सन 1856 मे जेम्स लुईस (जिन्हें चार्ल्स मैसेन भी कहा जाता है) ने पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में लिखा था, लेकिन उन्होंने इसे एक अलग सभ्यता के रूप में नहीं पहचाना था|
सन 1921 मे दयाराम साहनी ने हड़प्पा में खुदाई शुरू की, जो सिंधु घाटी सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल था|
सन 1922 मे राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो में खुदाई की, जो सिंधु घाटी सभ्यता का एक और महत्वपूर्ण स्थल था|
सिंधु घाटी का कुल क्षेत्रफल कितना था? ओर एसके प्रमुख नगर कोन-कोन से हैं?
सिंधु घाटी सभ्यता में आज तक करीब 1500 नगरों की खोज हुई है जिनमे 925 भारत मे 580 पकिस्तान में और 2 नगर अफगानिस्तान में हैं।अब तक खोज के आधार पर इसका विस्तार उत्तर में वर्तमान जम्मू कश्मीर से प्राप्त मांडा नगर दक्षिण में वर्तमान महाराष्ट्र में दाइमाबाद नगर ,पूर्व में उत्तर प्रदेश में आलमगीर पुर और पश्चिम में बलूचिस्तान में सुतकागेंडोर नगर की खोज हो चुकी है इस हिसाब से उत्तर दक्षिण विस्तार 1400 किलोमीटर और पूर्ब पश्चिम 1600 किलोमीटर तक माना जा चुका है और कुल विस्तार 13 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली सभ्यता है ये जो विश्व की सभी सभ्यताओं को मिलाकर भी कई गुना बड़ी है ।
सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ प्रमुख नगर:
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हड़प्पा:यह नगर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है और इसे सिंधु घाटी सभ्यता का पहला खोजा गया नगर माना जाता है।
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मोहनजोदड़ो:यह नगर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है और इसे सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर माना जाता है।
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कालीबंगा:यह नगर राजस्थान, भारत में स्थित है और यहां से खुदाई में काले रंग की चूड़ियां मिली हैं।
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लोथल:यह नगर गुजरात, भारत में स्थित है और यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था।
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चन्हुदड़ो:यह नगर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है और यह एक औद्योगिक शहर था।
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धोलावीरा:यह नगर गुजरात, भारत में स्थित है और यह एक नियोजित शहर था, जहां जल प्रबंधन प्रणाली बहुत उन्नत थी।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज का इतिहास किया है ?
चालर्स मेसन नाम के एक अंग्रेज ने सन 1818 ई में उत्तर पश्चिमी पंजाब(वर्तमान में पाक का पंजाब) का दौरा किया वहाँ उन्होंने हड़प्पा क्षेत्र में जमीन में दबे अवशेषों को देखा और अध्ययन किया जिसका लेख उन्होंने 1842 में लिखा था और दुनिया के सामने विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता को पेश किया| इसके बाद जगह जगह से अवशेष मिलते रहे और 1856 में कराची लाहौर रेल लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बन्धुओ ने हड़प्पा में खण्डर के अवशेषों का पता लगाया और उन्हीं ईंटों को रेल मार्ग में उपयोग भी किया था |
अलेक्जेंडर कनिघम ने सन 1861 में हड़प्पा का नक्शा बनाया और उसी साल भारत मे इनहोने पुरातत्व विभाग का निर्माण किया। तभी सन 1921 में सर जान मार्सल ने पुरातत्व विभाग की ओर से पहली बार आधिकारिक तौर पर खनन कार्य चालू करने का आदेश दिया जिसका प्रारम्भ भारतीय शोध कर्ता दयाराम साहनी ने किया था।
सिंधु घाटी सभ्यता का कार्य काल कब तक रहा:
दक्षिण एशिया की एक प्राचीन नगरीय सभ्यता थी। यह 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी, और इसका परिपक्व चरण 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक था। इस सभ्यता का विस्तार वर्तमान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में था। सिंधु घाटी सभ्यता को तीन चरणों मैं बिभाजित किया जा सकता है:
सिंधु घाटी सभ्यता के अबशेष ओर इनकी विशेषताएं:
तांबा और टीन के मिश्रण से इनको कांस्य धातु बनाना आता था|
इन्हे मपतोल का भी ज्ञान था |
मिट्टी से बर्तन, औजार, खिलौने और अन्य प्रकार की बस्तुओं को बनाना भी आता था |
बढ़े-बढ़े सन्नागार इनके अंदर की मानवता और बस्तुकला को दिखते हैं |
एतिहासकारों ने बताया है कि इन्हे गणित का भी ज्ञान था |
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को चित्र को लिपि मे बदलना भी आता था|
निष्कर्ष :
सिंधु घाटी सभ्यता का भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता की नींव रखने वाली पहली शहरी संस्कृतियों में से एक थी|